दुनिया भर की निगाहें इन दिनों अमेरिका और ईरान के बीच के तनाव पर टिकी हुई थीं। सवाल उठाए जा रहे थे कि क्या अमेरिका युद्ध में कूदेगा? क्या बी-2 बॉम्बर का इस्तेमाल किया जाएगा? और अब इन सभी सवालों के जवाब खुद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दे दिए हैं – अमेरिका ने ईरान की तीन सबसे अहम न्यूक्लियर साइट्स पर एयर स्ट्राइक कर दी है।
📍 क्या हुआ है ताजा घटनाक्रम?
कुछ ही देर पहले डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक बड़ा बयान जारी किया जिसमें उन्होंने कहा:
“We have completed our very successful attack on the three nuclear sites in
Iran.”
यानि अमेरिका ने ईरान के तीन मुख्य न्यूक्लियर साइट्स पर सफलतापूर्वक हमला किया है।
🔴 कौन-कौन सी साइट्स थीं निशाने पर?
ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम के तहत कई प्रकार की साइट्स हैं – रिसर्च फैसिलिटी, यूरेनियम एनरिचमेंट प्लांट, न्यूक्लियर रिएक्टर्स आदि। लेकिन जिन तीन साइट्स पर हमला किया गया वो सबसे ज्यादा संवेदनशील और खतरनाक मानी जाती हैं:
- Fordow (फोर्दो) – पहाड़ों के नीचे बनी यह अंडरग्राउंड साइट लगभग 80–90 मीटर गहराई में है, जहां हाई ग्रेड यूरेनियम (60%+ enriched) तैयार किया जाता था।
- Natanz (नतांज) – ईरान का सबसे बड़ा यूरेनियम एनरिचमेंट प्लांट, जहां हजारों सेंट्रीफ्यूज लगाए गए थे।
- Isfahan (इस्फहान) – यहां रिसर्च रिएक्टर और कन्वर्शन प्लांट हैं जो पूरे प्रोग्राम को सपोर्ट करते हैं।
💣 बी-2 बॉम्बर और GBU-57 बम का इस्तेमाल
इस ऑपरेशन में अमेरिका ने B-2 Spirit Stealth Bomber का इस्तेमाल किया, जो दुनिया का सबसे खतरनाक और हाईली एडवांस बॉम्बर माना जाता है। इसकी खासियत:
- दुश्मन के रडार से पूरी तरह बच निकलता है (stealth mode)
- लंबी दूरी तय कर सकता है – 11,000 किलोमीटर से भी ज्यादा
- एक बार में 18 टन तक पेलोड ले जा सकता है
- दो पायलट ऑपरेट करते हैं और इसकी कीमत करीब ₹17,000 करोड़ है
GBU-57 बंकर बस्टर बम – जिसे Massive
Ordnance Penetrator कहा जाता है, इस मिशन में इस्तेमाल किया गया।
👉 इसका वज़न 13,600 किलो है और यह जमीन के अंदर गहराई तक जाकर ब्लास्ट करता है, जिससे फोर्दो जैसे बंकर भी नष्ट हो जाते हैं।
🌍 कहां से हुए थे हमले?
हमले की तैयारी अमेरिका ने पहले ही कर ली थी। दो जगहों से बी-2 बमबर्स को उड़ाया गया:
- गुआम (Guam) – पेसिफिक ओशन में अमेरिकी एयरफोर्स बेस
- डिएगो गार्सिया – इंडियन ओशियन में अमेरिका का सीक्रेट बेस
यहां से बॉम्बर्स सीधे ईरान की एयरस्पेस में दाखिल हुए, हमला किया और बिना किसी रडार के पकड़े जाने के वापस लौट आए।
🇮🇱 इजराइल की भूमिका
इजराइल लंबे समय से चाहता था कि अमेरिका ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को रोके। अब ट्रंप के बयान से साफ हुआ कि अमेरिका और इजराइल ने इस ऑपरेशन में मिलकर काम किया।
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा:
“Peace
comes through strength. आज अमेरिका ने वो ताकत दिखाई है।”
🧠 इस हमले के बाद क्या असर होगा?
- ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम 2–5 साल पीछे चला गया है।
- लेकिन चिंता की बात यह है कि ईरान के पास अभी भी नॉलेज और साइंटिफिक इंफ्रास्ट्रक्चर है।
- अब ये देखना होगा कि ईरान IAEA inspectors को देश से निकालता है या नहीं।
- क्या ईरान NPT (Non-Proliferation
Treaty) से बाहर निकलेगा?
- अगर ईरान ने तेज़ी से यूरेनियम एनरिचमेंट दोबारा शुरू किया, तो अमेरिका फिर हमला कर सकता है।
🔥 अब आगे क्या?
डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी स्पीच में साफ कहा है:
“There
are many targets left. If peace doesn’t come quickly, we will go to those
targets also.”
इसका मतलब है कि अगर ईरान ने रिटेलिएट किया, तो अमेरिका और बड़ा हमला कर सकता है।
ईरान की ओर से रिटेलिएशन की संभावना जताई जा रही है – जैसे:
- US बेस पर हमले (इराक, सीरिया, बहरेन, यूएई आदि में)
- प्रॉक्सी ग्रुप्स जैसे हिज़बुल्ला, हमास का एक्टिव होना
- ऑयल मार्केट में भारी डिसरप्शन
इस पूरी घटना से दुनिया में एक बार फिर बड़ा भूचाल आ गया है। जहां एक ओर अमेरिका ने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है, वहीं अब सभी की निगाहें ईरान पर टिकी हैं - कि वह अब क्या कदम उठाता है।
अभी तो शुरुआत है, आगे क्या होगा ये आने वाला समय बताएगा।
आपके विचार क्या हैं इस मुद्दे पर? क्या अमेरिका का हमला सही था? क्या इससे युद्ध और गहराएगा? कमेंट में ज़रूर बताएं।
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