भारतीय लोकतंत्र में राष्ट्रपति की भूमिका: संविधान के तहत शक्तियां और जिम्मेदारियां



भारतीय संविधान के तहत राष्ट्रपति देश के मुखिया (Head of State) के रूप में एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, जो ceremonial head होने के साथ-साथ कई मामलों में discretionary powers भी रखते हैं। डॉ. भीमराव अम्बेडकर के अनुसार, राष्ट्रपति का स्थान अंग्रेजी संविधान के King के समान है - वे राष्ट्र के प्रतीक हैं लेकिन administration में उनकी भूमिका एक ceremonial device की तरह है। Article 74 के तहत Council of Ministers की सलाह राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी है, जो 42वें संशोधन (1977) के बाद स्पष्ट हो गया। हालांकि राष्ट्रपति को de jure head माना जाता है जबकि Prime Minister को de facto head, फिर भी राष्ट्रपति के पास कई महत्वपूर्ण शक्तियां हैं जो भारतीय लोकतंत्र की functioning में crucial role निभाती हैं।

Rashtrapati Bhavan

संवैधानिक स्थिति और मूलभूत भूमिका

भारतीय संविधान में राष्ट्रपति की स्थिति को समझना भारतीय लोकतंत्र की functioning को समझने के लिए अत्यंत आवश्यक है। संविधान के Article 60 के अनुसार राष्ट्रपति का प्राथमिक कर्तव्य संविधान और भारत के कानून की रक्षा करना, उसका संरक्षण करना और उसकी रक्षा करना है। यह oath राष्ट्रपति के सभी कार्यों का आधार बनता है और इसी के तहत वे सभी independent constitutional entities के common head के रूप में काम करते हैं।

राष्ट्रपति की भूमिका में एक महत्वपूर्ण paradox यह है कि वे औपचारिक रूप से तो बहुत शक्तिशाली दिखते हैं, लेकिन practical terms में उनकी अधिकांश शक्तियों का उपयोग Council of Ministers की सलाह पर ही होता है। Article 74 के तहत यह स्पष्ट किया गया है कि राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद की सलाह माननी पड़ती है। 44वें संशोधन (1978) ने राष्ट्रपति को यह अधिकार दिया कि वे किसी bill को reconsideration के लिए वापस भेज सकते हैं, लेकिन अगर वही bill दोबारा आ जाए तो उन्हें उस पर हस्ताक्षर करना ही पड़ता है।

इस constitutional framework के तहत राष्ट्रपति का role एक balancing act का है। वे constitutional propriety के guardian हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि सभी constitutional processes सही तरीके से follow हों। उनकी उपस्थिति democratic institutions को legitimacy प्रदान करती है और national unity का प्रतीक बनती है।

विधायी शक्तियां और संसदीय कार्यप्रणाली में भूमिका

राष्ट्रपति की legislative powers भारतीय संसदीय प्रणाली में एक central role निभाती हैं। संविधान के अनुसार Parliament के head के रूप में राष्ट्रपति के पास कई महत्वपूर्ण शक्तियां हैं। वे दोनों Houses को summon करते हैं और उन्हें prorogue करने की शक्ति रखते हैं। साथ ही, राष्ट्रपति Lok Sabha को dissolve भी कर सकते हैं, जो एक अत्यंत महत्वपूर्ण शक्ति है।

Article 87(1) के तहत राष्ट्रपति का एक महत्वपूर्ण कार्य है Parliament को address करना। General elections के बाद और हर साल के पहले session की शुरुआत में राष्ट्रपति Parliament को address करते हैं। यह address केवल एक formality नहीं है बल्कि government की नई policies और direction का outline होता है। इस तरह राष्ट्रपति legislative agenda setting में भी एक role निभाते हैं।

Legislative process में राष्ट्रपति की भूमिका bills पर assent देने में भी महत्वपूर्ण है। जब कोई bill Parliament से pass होकर आता है, तो राष्ट्रपति के पास तीन options होते हैं: assent देना, bill को वापस भेजना (money bills के अलावा), या bill को अनिश्चित काल के लिए pending रखना। यह suspensive veto की शक्ति राष्ट्रपति को legislature पर एक check का role देती है, भले ही यह limited हो।

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कार्यकारी शक्तियां और प्रशासनिक भूमिका

राष्ट्रपति की executive powers भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था में fundamental हैं। हालांकि practical executive power Prime Minister और Council of Ministers के पास होती है, लेकिन formal executive authority राष्ट्रपति में निहित है। यह arrangement Westminster model से आता है जहां formal authority और real power अलग-अलग institutions में बांटी जाती है।

राष्ट्रपति का सबसे महत्वपूर्ण executive function है Prime Minister की appointment करना। राष्ट्रपति उस व्यक्ति को Prime Minister नियुक्त करते हैं जो Lok Sabha में majority का support command करने की सबसे अधिक संभावना रखता हो। यह usually majority party या coalition का leader होता है। इसके बाद राष्ट्रपति Prime Minister की सलाह पर Council of Ministers के अन्य members को नियुक्त करते हैं और उनमें portfolios का distribution करते हैं।

Council of Ministers राष्ट्रपति के 'pleasure' पर काम करता है, जो एक important constitutional principle है। इसका मतलब यह है कि technically राष्ट्रपति ministers को dismiss कर सकते हैं, लेकिन practical terms में यह power Prime Minister की recommendation पर ही exercise होती है। यह arrangement government की stability और parliamentary responsibility को ensure करता है।

राष्ट्रपति की executive authority में एक और महत्वपूर्ण aspect है states के Governors की appointment। राष्ट्रपति सभी states के Governors को नियुक्त करते हैं जो उनके pleasure पर काम करते हैं। Article 156 के तहत राष्ट्रपति को उन Governors को dismiss करने की शक्ति भी है जो अपने acts में constitution का violation करते हैं।

न्यायिक और नियुक्ति संबंधी शक्तियां

राष्ट्रपति की judicial powers भारतीय न्यायिक व्यवस्था में एक crucial role निभाती हैं। राष्ट्रपति Chief Justice of India और Supreme Court के अन्य judges की नियुक्ति करते हैं, हालांकि यह Chief Justice की सलाह पर होती है। इसी तरह, state और union territory high courts के judges की नियुक्ति भी राष्ट्रपति करते हैं। राष्ट्रपति किसी judge को Parliament के दोनों Houses के two-thirds vote से dismiss भी कर सकते हैं।

Article 76(1) के तहत भारत सरकार के मुख्य कानूनी सलाहकार, Attorney General for India की नियुक्ति भी राष्ट्रपति करते हैं। Attorney General राष्ट्रपति के pleasure पर काम करते हैं। Article 143 के तहत अगर राष्ट्रपति को लगता है कि कोई legal question या public importance का मामला आ गया है, तो वे Supreme Court से advisory opinion मांग सकते हैं।

राष्ट्रपति की appointment powers बहुत व्यापक हैं और इनमें कई महत्वपूर्ण constitutional positions शामिल हैं। इनमें Comptroller and Auditor General of India, Chief Election Commissioner और अन्य Election Commissioners, Union Public Service Commission के chairman और members, और National Capital Territory of Delhi के Chief Minister (Article 239 AA 5 के तहत) शामिल हैं। राष्ट्रपति अन्य देशों में भारतीय Ambassadors और High Commissioners की नियुक्ति भी करते हैं, हालांकि यह Prime Minister द्वारा दी गई names की list से होती है।

Rajya Sabha में राष्ट्रपति 12 members को nominate करने की शक्ति रखते हैं। ये वे लोग होते हैं जिनके पास literature, science, art और social service के क्षेत्र में special knowledge या practical experience है। यह provision Rajya Sabha में expertise और diverse perspectives को ensure करने के लिए बनाया गया था। Article 331 के तहत राष्ट्रपति Anglo Indian community के दो members को Lok Sabha में nominate कर सकते थे, लेकिन यह provision 2019 में हटा दिया गया।

विवेकाधीन शक्तियां और असाधारण परिस्थितियां

राष्ट्रपति की discretionary powers भारतीय संविधान में explicitly mentioned नहीं हैं, लेकिन कई cases में राष्ट्रपति Council of Ministers की सलाह पर act नहीं करते। ये powers भारतीय लोकतंत्र में checks and balances का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

सबसे महत्वपूर्ण discretionary power है suspensive veto का उपयोग। राष्ट्रपति किसी भी bill को (money bill को छोड़कर) Parliament में reconsideration के लिए वापस भेज सकते हैं। यह power राष्ट्रपति को legislative process में एक meaningful role देती है और hasty legislation पर एक check का काम करती है। हालांकि अगर Parliament उसी bill को दोबारा pass करके भेज दे, तो राष्ट्रपति को उस पर assent देना पड़ता है।

राष्ट्रपति की discretionary powers का उपयोग खासकर hung Parliament या political instability के समय में देखा जाता है। जब किसी party या coalition के पास clear majority नहीं होती, तो राष्ट्रपति को यह तय करना पड़ता है कि किसे Prime Minister बनने के लिए invite करना है। इस situation में राष्ट्रपति को अपने constitutional wisdom का उपयोग करना पड़ता है।

Emergency powers भी राष्ट्रपति की महत्वपूर्ण discretionary powers हैं। हालांकि Emergency की proclamation Council of Ministers की सलाह पर होती है, लेकिन राष्ट्रपति को यह ensure करना पड़ता है कि Emergency का उपयोग constitution के अनुसार हो रहा है। Past में Emergency powers के misuse के cases में राष्ट्रपति की भूमिका controversial रही है।

Article 88 के तहत राष्ट्रपति Attorney General को Parliament की proceedings attend करने और किसी भी unlawful functioning की report करने के लिए कह सकते हैं। यह power Parliament की constitutional functioning को monitor करने में राष्ट्रपति की भूमिका को दर्शाती है।

संवैधानिक संकट और संतुलन की भूमिका

राष्ट्रपति की भूमिका संवैधानिक संकट के समय में विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाती है। जब political parties के बीच serious constitutional disputes होते हैं या जब government की legitimacy पर सवाल उठते हैं, तो राष्ट्रपति को एक neutral arbiter का role निभाना पड़ता है। उनकी constitutional position उन्हें partisan politics से ऊपर रखती है और वे national interest के guardian के रूप में काम करते हैं।

राष्ट्रपति का office भारतीय लोकतंत्र में institutional continuity भी provide करता है। जबकि governments आती-जाती रहती हैं, राष्ट्रपति का office state की continuity का प्रतीक बना रहता है। यह especially important है जब coalition governments की instability हो या जब frequent changes in government होते हैं।

International relations में भी राष्ट्रपति की भूमिका ceremonial से कहीं अधिक है। वे foreign diplomatic और consular representatives को receive करते हैं और recognize करते हैं1। यह function भारत की foreign policy का एक important aspect है और international community में भारत की image को project करता है।

निष्कर्ष

भारतीय लोकतंत्र में राष्ट्रपति की भूमिका एक complex और multi-faceted है जो constitutional theory और political practice के बीच एक delicate balance maintain करती है। जबकि राष्ट्रपति को अक्सर ceremonial head के रूप में देखा जाता है, उनकी powers और responsibilities का careful analysis यह दिखाता है कि वे भारतीय democratic system के functioning में एक crucial role निभाते हैं।

राष्ट्रपति की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका constitutional guardian के रूप में है। Article 60 के तहत संविधान की रक्षा करने की उनकी fundamental duty सभी अन्य functions का आधार बनती है। यह ensuring करना कि सभी constitutional processes properly follow हों और democratic institutions अपनी intended spirit के अनुसार function करें, राष्ट्रपति की core responsibility है।

आधुनिक भारतीय लोकतंत्र में राष्ट्रपति की relevance इस बात में है कि वे institutional stability प्रदान करते हैं। Coalition politics के era में, जब governments की stability अक्सर question में होती है, राष्ट्रपति का office एक anchoring force का काम करता है। उनकी discretionary powers, हालांकि limited हैं, critical moments में democratic values को protect करने का एक important mechanism प्रदान करती हैं।

भविष्य में जैसे-जैसे भारतीय लोकतंत्र evolve होता रहेगा, राष्ट्रपति की भूमिका भी adapt होती रहेगी। नई challenges जैसे कि coalition politics की complexity, regional parties की बढ़ती importance, और changing social dynamics के साथ, राष्ट्रपति को अपनी constitutional wisdom का उपयोग करके भारतीय democracy की strength को maintain करना पड़ेगा। उनका office न केवल constitutional requirements को पूरा करता है बल्कि भारतीय लोकतंत्र की moral authority का भी प्रतीक है।

भारतीय राष्ट्रपति की भूमिका से संबंधित महत्वपूर्ण संसाधनों के लिए निम्नलिखित लिंक्स उपयोगी हैं:

आधिकारिक पोर्टल

1.      भारत के राष्ट्रपति का आधिकारिक वेबसाइट:
राष्ट्रपति भवन की वेबसाइट [2 
से संदर्भित]

2.      राष्ट्रीय पोर्टल ऑफ़ इंडिया (सरकारी सेवाओं/जानकारी का एकल विंडो):
india.gov.in 3

ऐतिहासिक संदर्भ

3.      भारत के राष्ट्रपतियों की सूची:
सरल विकिपीडिया पर ऐतिहासिक डेटा 1

अतिरिक्त संसाधन

4.      संविधान का पूर्ण पाठ (भारत सरकार का कानूनी पोर्टल):
भारतीय संविधान की आधिकारिक प्रति



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